सारे संसार में भगवान श्री राम जी पर आस्था रखने वालो के लिए श्री राम प्रतिष्ठा दिवस अति आनंददायक और गौरवपूर्ण क्षण था. सभी लोग अति उत्साहित और रोमांचित थे. ऐसे ऐतिहासिक दिन का उत्सव मनाने को जर्मनी के स्टुटगार्ट शहर और उसके आसपास के क्षेत्र के लोग भी उतावले हो रहे थे. ऐसे आनंद के वातावरण में हिंदू मंदिर गीबल स्टुटगार्ट में यह उत्सव मनाने का निश्चय हुआ.
हिन्दू मंदिर गीबल स्टुटगार्ट वह मंदिर है जहाँ श्री रामचरितमानस पाठ के रूप में श्री राम नाम की गंगा पिछले छः वर्षो से निरंतर, निर्बाध और अनवरत गति से बह रही है. इस क्षेत्र के लोग इस मंदिर को भगवान का घर मानते है और पूरे क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगो को मंदिर परिवार का अभिन्न अंग मानते है.
कार्यक्रम 14 जनवरी के पवित्र दिन श्रीमद्भगवद गीता जी के सामूहिक सम्पूर्ण पाठ से आरम्भ होकर नौ दिनों तक चलता रहा. जिसमे इस क्षेत्र के मंदिर परिवार के लोगो ने मंदिर के लिपाई पुताई और सफाई से लेकर मंदिर के सौंदर्यीकरण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. सब इस बात को आतुर थे कि वह किस प्रकार श्री राम जी की सेवा कर पाए. कोई दीपक लेकर आया तो कोई अपने हाथो से बनाई भगवान श्री राम दरबार की सुन्दर पेंटिंग. किसी ने रंगोली के नवरंगो से मंदिर में इंद्रधनुषी छटा बिखेर दी तो कोई द्वार को सजाने लगा और स्वतः ही गाने लगा की “राम आएंगे आएंगे राम आएंगे”. छोटे छोटे बच्चे अपने अपने भाव और प्रेम से सराबोर राम नाम लिखकर मंदिर की दीवारों को राममय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. हर कोई सोच रहा था कि मै अपने रामजी के लिए क्या न कर डालू। जैसे सबमे एक प्रकार की प्रतिस्पर्धा थी की कौन राम जी के लिए कितना अधिक करे. अयोध्या से पवित्र अक्षत हमारे मंदिर तक पहुंचे जिसको सभी परिवारों को बांटा गया. कार्यक्रम के आरम्भ से प्रतिदिन भगवान का अर्चन, वंदन, विभिन्न स्त्रोतों के सामूहिक पाठ होता था.
21-22 तारीख को तो यह उत्सव अपने चरमोत्कर्ष पर पंहुचा. इस दिन मंदिर में 52 बच्चो को पुरुस्कृत किया गया जिन्होंने कुछ समय पहले लघु राम लीला के रूप में उनके पवित्र जीवन चरित्र को स्वयं जिया और याद किया था. फिर तो जैसे सभी लोग आनंद के महासागर में डूबते चले गए. मंदिर में साढ़े पाँच लाख से ज़्यादा राम नाम का जाप हुआ जो 21-22 जनवरी की पूरी रात चलता रहा. बीच बीच में भगवान के समक्ष भरतनाट्यम, कत्थक आदि के रूप में प्रस्तुतिया दी गई. 25 लोगो के गुणी समूह ने बड़ी प्रवीणता से कर्नाटिक संगीत के माध्यम से अपने मनोभाव भगवान से साँझा करे. जब एक प्रसिद्ध बाँसुरी वादक ने तबले और ढोलक के साथ रामधुन बजाई तो सबका आनंद, प्रेम और भाव अपनी समस्त सीमाओं को तोड़ कर हिलोरे ले रहा था. संध्याकाल में श्री स्वामीनारायण संस्था के प्रेमियों में आकर भजन कीर्तन से इस उत्सव के आनंद को और विस्तार दिया। रात भर अनेको स्त्रोत, विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओ में भजन (हिंदी, अवधी, ब्रज, मैथली, गुजराती, मराठी, ओड़िया, कन्नड़, मारवाड़ी, मेवाड़ी आदि आदि) प्रस्तुत करे गए और पता ही नहीं चला कि कब सूर्यदेव अपने रथ पर बैठकर प्रथम किरण के साथ मंदिर में प्रवेश कर गए.
22 जनवरी को प्रातः काल भगवान श्री राम जी की अष्टधातु की प्रतिमा का पंचामृत से वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच उत्कृष्ट अभिषेक हुआ. श्री विष्णु सहस्त्रनाम के सामूहिक पाठ के पश्चात सभी ने लाइव श्री राम लला का प्रतिष्ठा समारोह अयोध्या से देखा और स्वयं को अयोध्या में श्री राम लला के चरणों में पाया. संध्या काल में 1008 दीपो को प्रज्वल्लित करा गया और मंदिर प्रांगण में दीपावली मनाई गई. श्री सुंदरकांड के पाठ और पूजा अर्चन के पश्चात कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. समारोह में लगभग 500 से अधिक हिंदू परिवारों की उपस्थिति ने इसे यादगार बनाया।
मंदिर में 50 किलो विशेष बूँदी मिष्ठान बनाई गई और सबने यह निश्चय करा की इसको प्रत्येक हिन्दू के घर पहुचाएंगे और उन सभी के घरो को राम नाम की मिठास से भर देंगे.
धन्यवाद् हमारे श्री राम जी का जो हम लोग यह आनंदोत्सव मना पाए और वह सभी लोग जो इसमें सम्मलित हुए, उनके बिना यह अविस्मरणीय उत्सव नहीं हो पता. वह लोग भी विशेष आभार के पात्र है जो किन्ही कारणवश समारोह में सम्मिलित नहीं हो पाए पर मन से और कर से हर संभव सेवा करने को आतुर और तत्पर थे. हमारे अफगानी परिवार के बंधु और अनेको लोगो का धन्यवाद किसी प्रकार भी नहीं करा जा सकता है जो न जाने कितनी राते जग कर कार्यरत रहे और सबके लिए प्रेमपूर्वक प्रसाद और अन्य व्यस्था करते रहे.
स्टुटगार्ट मंदिर परिवार
4 Comments
Kamal Krishna Bhatt · 25 January 2024 at 21:33
During Anadotsav I met many “Silent Workers” who use to come to mandir during utsav preparation, I see them picking up some work and worked several hours and hours, remained away from any kind of focus, attention, photos, videos.
From them I learned there is one more way of doing “Pooja”.🙏🙏🙏
I can not mention each one here because I don’t even know each one by name, Thats how anonymous they remained.
I know all such people don’t expect anything but still from my side “Charan Vandan” to all of those “Silent Workers”🙏🙏🙏. No one can even imagine the Utsav like this without you.
VS · 31 January 2024 at 08:37
Well said, Kamal ji @Kamal Krishna Bhatt and Sankat Mochan ji @Sankat Mochan SinghMandir हमारे संत ऐसा कहते है कि यदि तुम ईश्वर की तरफ एक कदम चलोगे तो वह तुम्हारी तरफ सौ कदम चलेगा. इसके प्रत्यक्ष उदहारण हमारे मंदिर में देखने को मिलते है. सिर्फ इस उत्सव ही में नहीं हर उत्सव में ऐसा ही होता है. किसी भी उत्सव का विचार आते ही शुरू में तो हम सबको घबराहट होती है कि हमारे पास न सामर्थ्य है, न संसाधन है यह कैसे हो पायेगा, फिर तो न जाने कैसे पूरा काम सम्पूर्ण हो जाता है पता ही नहीं चलता. हम सबको यह पूर्ण विश्वास है कि वह लोग कोई और नहीं स्वयं भगवान जी उनका रूप धार कर आते है और अपना कार्य स्वयं पूर्ण कराते है. ऐसे चमत्कार एक बार नहीं हर बार होते है. “राम आते है, आते है, हर बार आते है”
Sankat Mochan Singh · 25 January 2024 at 21:33
Truly it was an amazing experience and great to see the affection of our brothers/sisters/kids towards Lord Ram 🙏Day by day the temple is achieving and creating a Milestone. I strongly feel that we don’t need an Hindu calendar in our house since we have great source of knowledge at Giebel temple.
Maybe, we can do such bigger (cultural) events externally if situation and financial condition allows. So that everyone can enjoy this in bigger way.
Chitra Viswanath and Ria Gubbi · 30 January 2024 at 19:38
🛕Vedic mandir, Giebel Stuttgart
A place were families children men and women come to pray, sing and cherish a connect to their roots back home. An unassuming exterior takes us into a particularly quaint place of worship. One can meditate in the midst of the sound of the Bhajans sung passionately by the devotees or choose to get into a bit more action and cook a meal for hundreds who visit the mandir on any Sunday afternoon. The eager devotees spend their time in the company of each other praying, singing the praise of God and return back joyously to start a new week ahead of them. Festivals celebrated with joy and togetherness, the temple karthas take the care to bring in a real sense of tradition by performing the rituals with their earnest effort and knowledge. Whether one is deeply religious or believe in other ways of life, Vedic mandir has its doors open with all the warmth. People are greeted with openess and embraced with unconditional respect and love. Vedic mandir, a place made sacred by positivity and energy, brings a sense of grounding to our roots for all home away from home. I throughly cherished the Ram Mandir and Shri Ram lalla pran pratishtha celebrations in the Vedic mandir and convey my gratitude through these words🙏🏼
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