कुछ समय पहले एक छोटे से विचार से शुरू हुई यात्रा आज एक बड़े सूंदर पड़ाव पर पहुंची है. हम लोगो को लगा की अगर हम लोग खुद अलग अलग भोजन पसंद करते है तो हमको सब कुछ देने वाले ईश्वर को क्यों सिर्फ कुछ भोगो तक ही सीमित रखे. मिथिलांचल, बिहार और पूर्वोत्तर उत्तर प्रदेश में लिट्टी चोखा बड़े चाव से खाया जाता है. यह स्वादिष्ट भोजन हम घरो में तो बनाते है पर बिना लहसुन प्याज़ और इतने बड़े स्तर पर बनाने का अनुभव किसी के पास नहीं था. ऐसे में अन्नपूर्णा का रूप धरकर हमारी बहने और भाई आगे आए और विचार धीरे धीरे मूर्त रूप लेने लगा. वैसे भी जब माँ का स्वरुप हमारे साथ हो तब सुंदर पड़ाव आने तो अवश्यम्भावी है.
ईश्वर की प्लानिंग देखिये. त्रेता युग में जब महर्षि विश्वामित्र जी भगवान राम जी और सौमित्र जी को मिथिला लेकर जा रहे थे तो बक्सर क्षेत्र में पाँच स्थानों पर पाँच ऋषियों से भेंट करने उनके आश्रम गए और वहाँ रात्रि प्रवास करा. उन सभी स्थानों पर उन्होंने अलग अलग भोजन करा. अंतिम दिन वह लोग सिद्धाश्रम के चरित्रवान गए और वहाँ पर लिट्टी चोखा ग्रहण करा. उसके बाद से बक्सर क्षेत्र में विश्व प्रसिद्ध लिट्टी चोखा मेला लगता है. इस वर्ष दो दिसंबर से बक्सर में यह मेला शुरू हुआ है और हमारे मंदिर में भी लिट्टी चोखा का आयोजन हो गया.
सब लोग जिस उत्साह, अपनेपन और सहयोग की भावना के साथ सब इस यात्रा से जुड़े वह अप्रतिम है. लोगो ने सुबह छह बजे से बड़ी जिम्मेदारी, प्रेम, उत्साह और आनंद के साथ के साथ तैयारी शुरू कर दी और सब इतने समर्पित और दृण निष्ट थे कि उनको क्वालिटी के साथ कोई कोम्प्रोमाईज़ मंज़ूर नहीं था. ऐसे में परिणाम तो उत्कृष्ट होना ही था.
इस पड़ाव ने हमारे अनुभवों, आनंद, ऊर्जा और परिवार को नया विस्तार दिया है. हमें ये पूर्ण विश्वास है की हमारे श्री राघव जी इस विस्तार को और आगे आगे ही बढ़ाते रहेंगे और अंततः सदा के लिए अपने साथ रखेंगे.
आपका मंदिर परिवार
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1 Comment
Mandir Family · 10 December 2023 at 22:25
हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
श्री हरि विष्णु अनंत हैं उनका कोई पार नहीं पा सकता और इसी प्रकार उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से सुनते और सुनाते हैं। श्री रामचन्द्रजी के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।
वै से ही हमारे भारत में अनेक खान पान की चीज हैं। और इस बार हमारे बिहारी भाई बहनों ने बिहार का मशहूर लिट्टी चोखा का भोग हमारे प्यारे ठाकुर जी को अर्पण किया। पुरा मंदिर परिवार उनकी इस प्यारी भेंट के लिए और मेहनत को शतशः प्रणाम करता है। 🙏🙏🙏
लेकिन इससे उनको कोई छूट नहीं मिलेगी, ये महाप्रसाद सिर्फ अगले साल तक ही याद रहेगा, इसके बाद फिर से लिट्टी चोखा बनके ठाकुर जी को खिलाना पड़ेगा।
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