नमस्ते,
भक्तिकाल के प्रमुख भक्तो और कवियों में गोस्वामी तुलसीदास जी का विशिष्ट स्थान है. अपने जीवन काल में उन्होंने अनेक सुंदर ग्रंथो की रचना करी और विनय पत्रिका नामक अंतिम ग्रन्थ के बाद अपनी कलम को विश्राम दिया. विनय पत्रिका के विषय में कभी और चर्चा करेंगे. उनके द्वारा रचित रचनाओं में श्री हनुमान बाहुक बहुत ही अनूठा है.
एक बार गोस्वामी जी को हाथ में अत्यंत पीड़ा हुई जो किसी भी यत्न से ठीक नहीं हो रही थी. हाथ की पीड़ा के साथ उनके शरीर में अनेक फोड़े फुंसी भी हो गए और उनका एक एक पल दुष्कर हो गया. जब हर प्रकार का प्रयत्न निष्फल हो गया तब हार कर उन्होंने श्री हनुमान जी से प्रार्थना करी. अंततः श्री संकट मोचन ने उनकी पीड़ा दूर करी. यह प्रार्थना विभिन्न भावो से भरी हुई है, जैसे हम किसी अपने से व्यव्हार करते है, लड़ते है, झगड़ते है, शिकायत करते है, उलाहना देते है, दुहाई देते है, धमकी देते है, अठखेलिया करते है, मसखरी करते है, अधिकार जताते है, प्यार दिखलाते है, दुलार करते है……
यह प्रार्थना ही कालांतर में श्री हनुमान बाहुक कहलाई। इसमें बड़े ही प्रेम और भक्तिभाव से ब्रज भाषा में 44 छंदो के रूप में बड़े ही सूंदर शब्द पिरोये है. गोस्वामी जी ने छप्पय, झूलना, घनाक्षरी, और सवैया आदि छंदो में बड़े ओजपूर्ण, ऊर्जावान और सूंदर भावो से शब्दों को भरा है.
यदि आपने पहले कभी ये छंद नहीं पढ़े है तो आप कदापि चिंता न करे, हममे से ज्यादातर लोग आज पहली बार श्री हनुमान जन्मोत्सव पर 6.04.2023 मिलकर शाम को 18 :30 बजे इसका पाठन करेंगे. पाठ शुरू होने के पहले हम ये जानेंगे की इसको किस लय में पढ़ना है. आपको भी यदि श्री पवनपुत्र प्रिय है और शाम को कुछ समय निकाल कर मंदिर आ सकते है तो अवश्य आये और इस अनूठे आनंद के सपरिवार साक्षी बने.
आपका मंदिर परिवार.

P.S.: A PDF document of Shri Hanuman Bahuk with reading guidelines will be provided to all who will particiate the event.


1 Comment

Mandir Admin · 6 April 2023 at 21:10

नमस्ते,
भगवद कृपा, गीबल मंदिर के सदस्यों की असीमित उदारता और अलौकिक आनंद की भारत से हज़ारो किलोमीटर दूर ऐसी त्रिवेणी अपने आप में एक अद्भुत आश्चर्य ही है. हम तो सोच रहे थे की क्योकि आज सभी लोग अपने ऑफिस के कार्यो में व्यस्त होंगे और शायद आज हम पवन पुत्र जी को उनके जन्मदिन पर 21 पुष्पों की माला समर्पित कर पाएंगे, पर हमारे परिवार के सदस्यों का बड़ा ही विशाल ह्रदय है, वह 21 नहीं बल्कि लगभग 60 -70 की संख्या में आकर निश्चित रूप से बजरंग बलि जी को गदगद कर दिया होगा. भगवद कृपा ऐसी, कि लगभग सभी लोग पहली बार श्री हनुमान बाहुक का पाठ कर रहे थे पर उनकी लय और सुर ताल देख कर लग रहा था की ये सब तो छंद ज्ञान और गायन कला में महा प्रवीण और पारंगत है. उस आनंद के बारे में क्या कहा जा सकता है, उसे तो बस आत्मसात कर महसूस ही करा जा सकता है.
श्री संकट मोचन जी के जन्मदिवस पर ऐसा सुन्दर और अनोखा उपहार न तो पहले कभी देखा न सुना. पाठ के समय जो आनंद की वर्षा हो रही थे शायद ऐसे ही आनंद के लिए गोस्वामी जी ने श्री रामचरितमानस में लिखा है…..
सोइ जानइ जेहि देहु जनाई। जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई॥
तुम्हरिहि कृपाँ तुम्हहि रघुनंदन। जानहिं भगत भगत उर चंदन॥
ईश्वर सभी पर ऐसे ही आनंद की वर्षा करते रहे…..
आपका मंदिर परिवार

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