सर्व पितृ अमावस्या: संपूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता पाठ (02.10.2024 Wednesday 17:30 Hours)
पति पत्नी, माता पिता, संतान, भाई बहन यह रिश्ते ईश्वरीय होते है. एक आत्मा को ईश्वर ने दूसरी आत्मा से अदृश्य तारो द्वारा जोड़ रखा है. जब एक आत्मा
को दुःख और क्लेश होता है तो इन अदृश्य तारो के माध्यम से दूसरो तक पहुंच जाते है. चाहे आत्मा स्थूल शरीर में हो या पितृ लोक में.
वर्ष में पंद्रह दिन का एक पक्ष होता है जब हमारे पित्रो का लोक हमारे बहुत करीब होता है. इसीलिए इसको पितृपक्ष भी कहा जाता है और यह हम सबके लिए विशेष होता है. इस पक्ष में हम जो भी शुभ कर्म करेंगे वह हम अपने पितरो को अर्पित कर सकते है.
हम लोग अपने पितरो की उनकी तिथि के अनुसार उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते है, पर पितृ पक्ष का अंतिम दिन सर्व पितृ अमावस्या बड़ा ही विशेष होता है. इस दिन हम लोग उन सभी पितरो के लिए प्रार्थना कर सकते है जिनके लिए अब तक प्रार्थना नहीं कर पाए है या जिनकी तिथि का हमें ज्ञान नहीं है.
हम लोगो की ऐसी सम्मति बनी है कि श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ 07.10.2024 की जगह 02.10.2024 Wednesday 17:30 Hours से करेंगे
प्रयास करे कि आप सपरिवार आए और अपने समस्त पितरो हेतु पाठ में सम्मलित होकर ईश्वर से उनकी मुक्ति की प्रार्थना करे और आशीर्वाद प्राप्त करे.
आपका मंदिर परिवार
Reminder संपूर्ण श्रीमद्भगवद्गीता पाठ (02.10.2024 Wednesday 17:30 Hours)
श्रीमद्भगवद्गीता को मोक्षदायनी कहा जाता है. यह ग्रंथ हमारी यात्रा, हमारे शरीर से प्रारम्भ करके मन से होते हुए, बुद्धि अहंकार को पार करके श्री हरी के चरणों में पहुँचा देता है और मुक्ति प्रदान करता है. वास्तव में यह ग्रन्थ सरल से सरल और गूढ़ से गूढ़ है.
इसकी एक और विशेषता यह भी है कि यह न सिर्फ जीवित प्राणियों का कल्याण करता है बल्कि अतृप्त और परेशान आत्माओ को भी शांति प्रदान करके मुक्ति के मार्ग पर ले जाता है.
हम अपने एक दो तीन चार पीढ़ियों तक के पूर्वजो को तो जानते है पर उसके पहले के नहीं. अतः यह हमारा परम कर्तव्य है कि हमारे पितरो में जिनको अभी तक मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ है उनके लिए कुछ करे, जिससे वह भी इस माया के चक्र से बाहर निकले. जब तक हमारे पितृ मुक्ति के मार्ग पर नहीं जायेंगे हमारे जीवन को भी शांति प्राप्त नहीं होगी. श्रीमद्भगवद्गीता ऐसा सद्ग्रन्थ है कि जिसको पढ़ने से न सिर्फ हमारा बल्कि हमारे पूर्वजो का भी कल्याण होता है.
आइये आज सर्व पितृ अमावस्या के दिन हम लोग मंदिर आकर अपने मुख से स्वयं श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ कर अपने पितरो को सुनाए और उनके कल्याण के लिए परमपिता से प्रार्थना करे. हमारे इस प्रयास से निश्चय ही ईश्वर और हमारे पूर्वज प्रसन्न होंगे और हमको अपना आशीर्वाद प्रदान करेंगे. कल छुट्टी है अतः प्रयास करे की पूर्ण न सही कुछ न कुछ पाठ अपने मुख से पढ़कर पितरो के कल्याण का प्रयास करे. न जाने फिर यह मनुष्य देह मिले या न मिले.
आप सभी का शाम को 17:30 बजे मंदिर में इंतज़ार रहेगा.
आपका मंदिर परिवार