We will be celebrating famous Shri Gananpati Mahotsav in our mandir.
Shri Ganapati Sthapna on 19.09.2023
Shri Ganapati Visarjan on 28.09.2023.
- श्री गणपति महोत्सव माहात्म्य
- Shri Ganapati Mahotsav Program
- Programm guidelines and information
- Program: Day 9 (27.09.2023 Wednesday) Celebrations
- Program: Day 8 (26.09.2023 Tuesday) Celebrations
- Program: Day 7 (25.09.2023 Monday) Celebrations
- Program: Day 6 (24.09.2023 Sunday) Celebrations
- Program: Day 5 (23.09.2023 Saturday) Celebrations
- Program: Day 4 (22.09.2023 Friday) Celebrations
- Program: Day 3 (21.09.2023 Thursday) Celebrations
- Program: Day 2 (20.09.2023 Wednesday) Celebrations
- Program: Day 1 (19.09.2023 Tuesday) Celebrations
- Information Reminders
- Ganapati Atharvashirsham Training
श्री गणपति महोत्सव माहात्म्य
हमारे जितने भी रीती रिवाज़ और त्यौहार है उन सभी के पीछे कुछ न कुछ गूढ़ बाते होती है. अक्सर हमें उन रहस्यों का ज्ञान न होने से हम उनको कुरीति समझ लेते है. वास्तव में हमारे पूर्वज बड़े ज्ञानी थे जो एक गर्व का विषय है. आइये आने वाले श्री गणपति महोत्सव के विषय में कुछ जाने:
- भगवान श्री गणपति माँ पार्वती और श्री महादेव जी के छोटे पुत्र है. जो ज्ञान, बुद्धि और बल में अग्रणी है. इनकी दो पत्निया रिद्धि और सिद्धि है और इनका वाहन मूषक है.
- हमारे चक्र भेदन (हठ योग) के प्रथम चक्र, मूलाधार चक्र के अधिष्ठाता देवता गणेश जी ही है.
- भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद (भादो) महीने के शुक्लपक्ष (बढ़ते चन्द्रमा की कलाओ) की चतुर्थी को केदारनाथ के निकट श्री गौरीकुण्ड नामक स्थान में हुआ था. इसे हम गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते है. उनके जन्म की कथा से आप लोग संभवतः अवगत होंगे.
- अपनी सूझबूझ, बुद्धि और बल के कारण इनको अपने पिता और समस्त देवी देवताओ से ये आशीर्वाद प्राप्त है की ये देवो में सर्वप्रथम पूजित होंगे, इसीलिए हर पूजा में सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा होती है.
- इनको विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि यह अपने भक्तो के विघ्नो का हरण करते है.
- अब प्रश्न यह है की जब जन्म का दिन एक है तो श्री गणपति उत्सव दस दिनों तक क्यों मनाया जाता है. इस विषय में हमको ऋषि वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत के प्रथम सर्ग में जानकारी मिलती है. अलग अलग विद्वानों द्वारा बताई बातो में कुछ भिन्नता हो सकती है.
- महाभारत के रचियता ऋषि वेद व्यास जी है पर उसको श्री गणपति जी ने लिखा है. गणपति जी इस शर्त पर इसको लिखने को तैयार हुए कि जब तक व्यास जी बिना रुके बोलते रहेंगे तभी तक गणेश की इसको लिखेंगे. इसको लिखने का कार्य भी गणेश जी के जन्मदिन को शुरू हुआ था और ख़त्म भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्दशी को हुआ था. जो दस दिन है.
- जब गणपति ने महाभारत लिखने का कार्य पूर्ण करा तो उनका शरीर बहुत गर्म हो गया और उनको शांत करने के लिए उनके ऊपर मिटटी का लेप लगाया और फिर सरस्वती नदी में स्नान के बाद वह मिटटी धूल गई.
- दूसरी कथा यह कहती है कि दस दिनों में गणपति के ऊपर बहुत ही धूल और मिटटी जम गई थी जो चतुर्दशी को स्नान के बाद साफ़ करी गई.
- इसके अलावा, गणपति के दस अवतार माने जाते है, दस दिशाए, दस अक्षर मंत्र ” ॐ गं गणपतये नमः”, गणपति के दस विशेष लक्षण (गुण) होते हैं, जो उनकी विशेषता को दर्शाते हैं.
- यह ही दस दिनों का रहस्य है.
- आज के युग में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने गणपति पूजा को पुनर्जीवित करा.
- कालांतर में मराठा काल में छत्रपति शिवजी महाराज ने शक्ति अर्जन के लिए गणपति स्थापना और विसर्जन को आगे बढ़ाया
- बाद में हमारे नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी ने लोगो को जाग्रत कर इसे घर घर तक पहुंचाया
- गणपति आने वाले मंगलवार को हमारे मंदिर में आ रहे है दस दिनों तक रहेंगे. प्रयास करे कि आप भी उनके दर्शन कर उनसे सुख समृद्धि, रिद्धि और सिद्धि प्राप्त करे.
Shri Ganapati Mahotsav Program
- यह बहुत ही दुर्लभ होता है की किसी मंदिर में हम ईश्वर के साथ नितांत अकेले, कुछ समय व्यतीत कर सके या उनकी सेवा स्वयं अपने हाथो से कर सके.
- सोचिये हम लोग कितने भाग्यशाली है जो श्री गणपति महोत्सव में ऐसा अवसर एक बार नहीं कई बार आ सकता है, जब सामने बैठे साक्षात् श्री गणपति से अपने ह्रदय के उद्गार व्यक्त कर सके.
- कही ऐसा न हो की जीवन की इस आपाधापी में यह अवसर भी हाथ से निकल जाए.
- जल्द से जल्द हमें सूचित करे की किस वक़्त आप श्री गणपति की सेवा अपने हाथो से करना चाहते है.
- इस बात का हमें पूर्ण विश्वास है की आप जैसे समर्पित परिवार वालो के होते हुए श्री गणपति जी के पास सदैव कोई न कोई सेवा के लिए उपस्थित रहेगा.
आपका मंदिर परिवार
Programm guidelines and information
- Shri Ganapati Mahotsav 2023 will begin on 19.09.2023 (Tuesday) at 7:00 Hours by doing Shri Ganapati Sthapna (स्थापना) in our Mandir / श्री गणपति महोत्सव 2023 हमारे मंदिर में मंगलवार दिनांक 19.09.2023 को प्रातः 7:00 बजे श्री गणपति स्थापना के साथ आरम्भ होगा
- Program will conclude on 28.09.2023 (Thursday) at around 13:00 Hours by doing Shri Ganapati Visarjan (विसर्जन) / समारोह का समापन बृहस्पतिवार दिनांक 28.09.2023 को मध्यान्ह लगभग 13:00 बजे श्री गणपति विसर्जन के साथ सम्पन्न होगा
- From Sthapna till Visarjan (Ten Days), our mandir will be open round the clock / स्थापना से विसर्जन तक (दस दिनों) मंदिर लगातार चौबीसो घंटे खुला रहेगा
- You all can come anytime for darshan except the rest/vishram (विश्राम) time of Shri Ganpati ji / भगवान गणपति के विश्राम को छोड़कर, आप लोग कभी भी मंदिर में उनके दर्शनों के लिए आ सकते है
- On Sthapna day a Deepak/Jyoti will be lit and will remain active till Visarjan. All of you have this beautiful opportunity to bring Ghee from your home for Deepak / स्थापना के साथ ही श्री गणपति जी के आगे एक दीपक प्रज्वलित होगा जो विसर्जन तक जलता रहेगा. आप सभी के लिए यह एक अति सूंदर अवसर है कि आप अपने घर से देसी घी लाकर दीपक की ज्योत को निरंतर प्रज्वलित रहने में योगदान करे
- Every day pooja, aarti and bhog will be performed thrice. Morning: 7:15 Hours, Afternoon: 12:15 Hours, Evening 18:30 Hours / प्रतिदिन तीन बार पूजा, भोग और आरती की जाएगी. प्रातः: 07:15 बजे, मध्यान 12:15 बजे और संध्या 18:30 बजे
- All of you can bring and offer Durva Grass, Haldi, Akshat, Kumkum, Pushp(Flowers), Nariyal (Coconut), Jaggery and Fruits for Ganapati ji / आप सभी लोग दूर्वा (दूब), हल्दी, अक्षत, कुमकुम, पुष्प, नारियल, गुड़ और फल श्री गणपति जी को अर्पित कर सकते है
- Since Mandir will be open for all ten days you can also help us by coming early or offer your service in critical timings. We have prepared a chart where you can add your name and become a part of service to Shri Ganapati ji / क्योकि मंदिर लगातार दस दिनों तक खुला रहेगा अतः आप लोग सुबह जल्दी आके, या अन्य माध्यमों से अपनी सेवा अर्पित कर सकते है. हमने एक चार्ट बनाया है जिसमे आप अपने आने का समय अंकित कर सकते है.
- You can stay daytime, evenings, night and early morning’s and do home office from Mandir as well / आपका आगमन दिन में, संध्या को, रात्रि को और ब्रह्म मुहूर्त में हो सकता है और यदि आप चाहे तो HomeOffice भी मंदिर से कर सकते है
- On 24.09.2023 (Sunday), we will be doing special Ganapati celebration where 51 people will be receiting Shri Ganapati Atharvashirsham Strotam together in fromt of Shri Ganapti ji after Shri Ramcharitmat Path and Shri Ganapati’s favourite Modak will be offered to him / दिनांक 24.09.2023 रविवार को हम लोग मिलकर विशेष गणपति उत्सव मनाएंगे. जिसमे हम लोग श्री रामचरितमानस पाठ के बाद 51 लोग मिलकर श्री गणपति जी को श्री गणपति अथर्वशीर्षम सुनाएंगे, साथ ही उनका प्रिय मोदक भी उनको अर्पित करेंगे
- If you are coming from a distance, let us know about your visit, your overnight stay arrangements can be made either in Mandir or in some of family member’s home nearby / यदि आप दूर से आ रहे है तो हमको सूचित करे, आपके सपरिवार रात्रि विश्राम की व्यस्था मंदिर में या आसपास रहने वाले परिवारों के यहाँ की जा सकती है
- If you have small kids and have special requirements, do let us know. We do not promise but will try our level best to make you feel comfortable / यदि आपके साथ छोटे शिशु भी आ रहे है और उनकी कुछ विशेष आवश्यकताए है तो हमको अवगत कराए. हम पूरा प्रयास करेंगे की उनको पूरा कर सके
- It’s a big celebration and a lot of helping hands are required. Come forward and be a part of us and make this special celebration memorable /यह एक बड़ा आयोजन है और इसके लिए बहुत से सहयोगी हाथो की आवश्यकता होगी. आप आगे आए और अपने सहयोग से इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दे
Program: Day 9 (27.09.2023 Wednesday) Celebrations
- कल मंगलवार का दिन बड़ा ही आनंद भरा रहा
- प्रातः वेला में श्री गणपति जी के दर्शनों के बाद हमारे मंदिर परिवार के एक प्रिय भाई ने बड़े भाव से भगवान का श्रृंगार और अभिषेक करा.
- एक तरह से इस बात कि गौरवानुभूति है कि श्री गणपति जी हमारे मंदिर में आए, पर यह सोचकर दिल बैठ जाता है कि इस गणपति उत्सव के समापन मे अब मात्रा 2 दिन और बचे है .
- परमात्मा की प्रेरणा से मन में यह भाव उत्पन्न हुए की हम लोग अपने मंदिर में श्री गणपति को स्थापित करे और परिणाम आप सबके सामने ही है
- जब भी हमारे मन में कोई इच्छा उत्पन्न होती है तो हम लोग उसके पास जाना चाहते है जो हमारी इच्छा को समझे और पूरा करे. ऐसे में हम लोग यदि किसी ऐसे के पास जाए जो इच्छा पूर्ती के लिए जाना जाता है और उसका नाम ही वरद हो तो क्या कहना.
- ऐसे ही उदार वरद विनायक जी हमारे सातवें अष्ट विनायक गणपति है जो की रायगढ़ जिले के महड में विराजमान है
- यहाँ नंदीदीप नाम का दीपक सन 1892 से लगातार प्रदीप्यमान है
- उप पौराणिक कथा के अनुसार गृत्समद ऋषि ने एकाक्षरी मंत्र के जाप के पश्चात भगवान गणपति से रुक्मानन्द नामक पुत्र की प्राप्ति हुई.
- एक बार शिकार के दौरान एक ऋषि की पत्नी उनपर आसक्त हो गई पर रुक्मानन्द ने उनको इनकार कर दिया
- दूसरी ओर इंद्र ने रुक्मानन्द का रूप धर ऋषि पत्नी को एक पुत्र प्रदान करा. सत्यता प्रकट होने के बाद पुत्र का बड़ा अपयश और तिरस्कार हुआ. पुत्र ने अपनी माँ को श्राप दिया की वह एक बेर जी झाड़ बन जाए और माँ ने पुत्र को श्राप दिया कि उसके घर दैत्य का जन्म हो
- लज्जा से पुत्र ने श्री गणपति की तपस्या करी और श्री गणपति ने उसको त्रिलोकविजयी संतान का वरदान दिया
- पुत्र ने श्री गणपति से यह विनय करी कि, वह वही रुक जाए जिसे श्री गणपति जी ने स्वीकार कर लिया
- वही स्थान आज श्री वरदविनायक के रूप में प्रतीष्ठित है. ऐसा स्थान जहाँ भक्तो की समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है.
- अन्य अष्टविनायक मंदिरो से अलग यहाँ पर भक्तो को मंदिर के गर्भगृह में भी जाने की अनुमति है
- आज 27.09.2023 Wednesday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- ध्यान रहे कि कल श्री गणपति की अंतिम संध्या आरती होगी अतः प्रयास करके आरती के समय तक कम से कम एक बार दर्शन अवश्य करे…..
Program: Day 8 (26.09.2023 Tuesday) Celebrations
- कल सोमवार के दिन रविवार के उत्सव की खुमारी बनी रही
- प्रातः वेला में श्री गणपति जी के दर्शनों के बाद हमारे मंदिर परिवार के एक प्रिय भाई ने बड़े भाव से भगवान का श्रृंगार और अभिषेक करा.
- एक तरह से इस बात कि गौरवानुभूति है कि श्री गणपति जी हमारे मंदिर में आए पर, यह सोचकर दिल बैठ जाता है की इस गणपति उत्सव के समापन मे अब मात्रा 3 दिन और बचे है .
- यह कई लोगो के तप का ही परिणाम है कि यह उत्सव यहाँ तक पहुँच पाया है
- श्री गणपति को पुत्र रूप में प्राप्ति के लिए माँ पारवती ने भी 12 वर्ष तक तप किया था. जिस स्थान पर माँ पारवती ने तप किया था वह स्थान ही लेण्याद्री का श्री गिरिजात्मज मंदिर है जो हमारे अष्टविनायक के छठे गणपति है.
- ऐसा कहाँ जाता है कि श्री गणपति जी ने अपने जन्म के पश्चात भगवान गणेश 15 वर्षों तक लेन्याद्रि पर रहे थे
- यहाँ रहते हुए उन्होंने अनेको दैत्यों का वध करा था.
- इस मंदिर की कई विशेषताए है, यह एकमात्र अष्टविनायक मंदिर है जो पहाड़ पर है और एक गुफा में है. मंदिर की गुफा एक ही बड़ी चट्टान पर बनाई गई है. और यहाँ तक जाने के लिए 307 सीढ़िया चढ़ना पढता है.
- श्री गणपति जी के विग्रह के बायीं ओर श्री हनुमान जी और दाहिनी ओर श्री शिव शंकर विराजमान है
- गुफा का मंदिर कुछ इस प्रकार बनाया गया है कि जब तक सूर्य आसमान में रहता है मंदिर के अंदर रौशनी आती रहती है
- कुछ विद्वानों का ऐसा भी मत है जी पांडवो ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय यहाँ व्यतीत करा था.
- श्री गणपति जी के रात्रि को विश्राम में जाने तक लगभग 50 प्रेमी भक्तो ने उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त करा और किसी न किसी रूप में सेवा करी.
- आज 26.09.2023 Tuesday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
Program: Day 7 (25.09.2023 Monday) Celebrations
- कल रविवार के दिन के अनुभव और आनंद ने हमको मूक बना दिया है, जो हम सब के मनो में लम्बे समय तक अंकित रहेगा.
- प्रातः वेला में श्री गणपति जी के दर्शनों के बाद हमारे मंदिर परिवार के एक वरिष्ठ परिवार ने बड़े भाव से भगवान का श्रृंगार और अभिषेक करा. वह परिवार अकेले नहीं बल्कि पूरे परिवार के साथ अभिषेक और श्रृंगार के लिए आया.
- कितना सुन्दर प्रयास है कि अकेले नहीं सब मिलकर ईश्वर का पूजन कर रहे थे
- गणपति उत्सव का महाप्रसाद और गणपति के प्रिय एक एक मोदक को अपने भाव और प्रेम से लबालब भर देना श्रेष्ठतम आनंद यात्रा से कम नहीं था. लगभग 30 घंटो से लगातार अपने भाइयो और बहनो को सेवा करते हुए देखना मन को अचंभित और भावुक कर देता है.
- श्री रामचरितमानस के मासपारायण के बाद हमारे शास्त्रीय संगीत के धनी व्यक्तियों के भजन अब भी ह्रदय में स्फ़ुरण उत्पन्न कर देता है
- हमारा तो यह प्रयास था कि 51 लोग मिलकर श्री गणपति अथर्वशीर्षम का पाठन करेंगे और मन में शंका थी की ऐसा हो भी पायेगा या नहीं, पर गणपति तो गणपति है, उन्होंने तीन सौ लोगो को मंदिर में भेज दिया. इतने लोगो के मुख से वैदिक ऋचाओं को स्वरबद्ध सुनना महान देवीय अनुकम्पा से कम नहीं है. न जाने कौन कौन से देव आप लोगो का रूप धर कर आए थे.
- कल के आयोजन को लेकर हमारे मन में जितने भी विग्न प्रतीत हो रहे थे वह सब न जाने कहाँ भस्म हो गए और सब कुछ निर्बाध गति से होता रहा.
- शायद इसीलिए गणपति को विग्नहर्ता कहा जाता है जो कि हमारे पांचवे अष्टविनायक गणपति है.
- स्कन्द पुराण और मुद्गल उपपुराण में विग्नहर्ता से जुडी कथा आती है.
- राजा अभिनन्दन ने तीनो लोको के स्वामी बनने की इच्छा से एक यज्ञ शुरू करा. देवराज इंद्र ने इससे भयभीत होकर विघ्नासुर नमक असुर को उत्पन्न करा.
- विघ्नासुर से सिर्फ राजा अभिनन्दन के यज्ञ को नष्ट करने के बजाय सभी यज्ञो को नष्ट करना नष्ट करना और विघ्न उत्पन्न करना शुरू कर दिया.
- आततायी विघ्नासुर के अत्याचारों से पीड़ित ऋषि मुनियो ने श्री गणपति से अपनी रक्षा की गुहार लगाई. श्री गणपति जी ने विघ्नासुर को परास्त कर इस शर्त पर रिहा करा कि जहाँ कही भी श्री गणपति का पूजन होगा वहां पर वह नहीं आएगा. विघ्नासुर ने इस शर्त को स्वीकार करते हुए श्री गणपति से यह अनुरोध करा कि श्री गणपति के नाम से पहले भक्त उसका नाम ले.
- तभी से श्री गणपति को विघ्नहर भी कहा जाता है और जिस स्थान पर विघ्नहर्ता निवास करने लगे वह स्थान अष्टविनायक मंदिरो में से एक ओझर का विघ्नहर मंदिर मंदिर कहलाने लगा
- श्री गणपति जी के रात्रि को विश्राम में जाने तक लगभग 380 प्रेमी भक्तो ने उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त करा और किसी न किसी रूप में सेवा करी.
- आज 25.09.2023 Monday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
Program: Day 6 (24.09.2023 Sunday) Celebrations
- कल शनिवार का दिन बड़ा ही आनंददायक और उत्साहवर्धक रहा. सुबह सुबह स्नान करके हमारे प्रिय भ्राता को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ कि उन्होंने अपने हाथो से भगवान का श्रृंगार और अभिषेक करा.
- थोड़ा मुश्किल होता है पर प्रयास करे कि आप भी प्रातः काल की स्वर्णिम बेला में श्री विनायक जी के समक्ष प्रस्तुत होकर उनके दिव्य श्रृंगार के साक्षी बने.
- कल दिन भर हमारे कई भाई और बहिने श्री गणपति जी की सेवा में उपस्थित रहे और आज के प्रसाद आदि की तैयारी करते रहे.
- मंदिर में श्री गणपति की उपस्थिति से मंदिर की दिव्य आलोकित आभा में ऐसा आकर्षण था की जो भी मंदिर आ जाता उसे लगता की अब वापस कही न जाए. हम सबको ऐसा अनुभव हो रहा था की जैसे कोई शादी ब्याह का घर है और उल्लास और आनंद की धाराए बह रही है.
- दोपहर में अन्नपूर्णा बन हमारी बहने और माताए आई और भगवान और वहां उपस्थित लोगो के लिए रसाई बनाई
- श्री गणपति जी के रात्रि को विश्राम में जाने तक लगभग 90 प्रेमी भक्तो ने उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त करा और किसी न किसी रूप में सेवा करी.
- आज 24.09.2023 Sunday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- कल तो हम लोगो का विशेष श्री गणपति उत्सव का दिन है. हम सभी लोग मिलकर श्रीरामचरितमानस के एक परायण को पढ़ने के बाद 51 लोग भगवान श्री गणपति को श्री अथर्वशीर्षम सुनाएंगे.
- क्या आपने ऐसा कभी सुना है की पिता को पुत्र की आराधना करनी पड़े और वह उनको आशीर्वाद दे.
- हमारे चौथे अष्टविनायक गणपति की कथा भी ऐसे ही शक्तिशाली महागणपति देवता की है
- त्रिपुरासुर ऋषि गृत्समद का पुत्र था। उसने श्री गणपति की आराधना करके तीन पुर (सोने, चाँदी और लोहे के किले) प्राप्त करे थे जिससे उसका नाम त्रिपुर हो गया. उसने श्री गणपति से अति शक्तिशाली होने और भगवान शिव शिव के अलावा किसी से भी नष्ट न होने का आशीर्वाद प्राप्त करा था.
- शक्ति के मद ने उसको अहंकारी और निरंकुश बना दिया. जल्दी ही उसने तीनो लोको पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया और देवताओ का कोई ठिकाना न रहा.
- सभी देवताओ ने भगवान भोलेनाथ से अपनी रक्षा की प्रार्थन कि. भगवान शिव त्रिपुरासुर से युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर पाए.
- विचार करने पर उन्होंने पाया कि उनकी विजय न होने का कारण भगवान श्री गणपति के आशीर्वाद का आभाव है
- अतः उन्होंने श्री गणपति की आराधना कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर त्रिपुरासुर का वध किया
- जिस स्थान पर भगवान शिव को श्री गणपति जी का आश्रीवाद प्राप्त हुआ था वह स्थान रांजणगाव है और वहां के गणपति महागणपति कहलाते है.
- मंदिर ऐसे बना है कि दिवस सूर्य की प्रथम किरण भगवान श्री गणपति के चरण स्पर्श से ही आरम्भ होता है.
Program: Day 5 (23.09.2023 Saturday) Celebrations
- कल शुक्रवार 22.09.2023 के दिन भी ईश्वर अपनी कृपा निरंतर बरसाता रहा. सुबह सुबह स्नान करके हमारी प्रिय बहनो को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ कि उन्होंने अपने हाथो से भगवान का श्रृंगार करा.
- थोड़ा मुश्किल होता है पर प्रयास करे कि आप भी प्रातः काल की स्वर्णिम बेला में श्री विनायक जी के समक्ष प्रस्तुत होकर उनके दिव्य श्रृंगार के साक्षी बने.
- कल दिन भर हमारे कई भाई और बहिने श्री गणपति जी की सेवा में उपस्थित रहे और साथ साथ लैपटॉप पर अपना ऑफिस का कार्य भी करते रहे.
- दोपहर में अन्नपूर्णा बन हमारी बहने और माताए आई और भगवान और वहां उपस्थित लोगो के लिए रसाई बनाई
- सबको ऐसा महसूस हुआ की जब जैसी आवश्यकता हुई परमात्मा ने वहाँ किसी न किसी को उसके लिए भेज दिया. यह भी तो उसकी कृपा का एक रूप ही है
- श्री गणपति जी के रात्रि को विश्राम में जाने तक लगभग 60 प्रेमी भक्तो ने उनके दर्शनों का लाभ प्राप्त करा और किसी न किसी रूप में सेवा करी.
- हमारे मंदिर की एक प्यारी बच्ची ने अपनी तरफ से हस्त लिखित श्री हनुमान चालीसा श्री गणपति के चरणों में अर्पित करी. धन्य है उस बच्ची के माता पिता जिन्होंने बच्ची को ऐसे उच्च संस्कार दिए है
- आज 23.09.2023 Saturday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- दोपहर 13:00 बजे से 16:00 बजे तक भगवान के विश्राम का समय रहेगा अतः इस समय दर्शन नहीं होंगे
- एक कवि ने लिखा है कि हमारे इस संसार में आने के साथ ही जाने की तैयारी शुरू हो जाती है. शनैः शनैः श्री गणपति जी के विसर्जन का समय निकट आता जा रहा है और उनके पास और उनके साथ में समय व्यतीत करने का वक़्त भी थोड़ा ही बचा है.
- बिना ईश्वर के चरणों में प्रस्तुत हुए मार्ग की कठिनाइयों का अंत दुष्कर ही होता है. विशेष परिस्थितियों में हमें उनके आशीर्वाद और सिद्धियों की आवश्यकता पड़ती है.
- ऐसी ही सिद्धियों का एक प्रमुख स्थान हमारा तीसरा अष्टविनायक गणेश सिद्धटेक का श्री सिद्धिविनायक मंदिर है जो कि महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है.
- मुद्गल उप पुराण में आई कथा के अनुसार योगनिद्रा में गए भगवान श्री विष्णु के कान के मैल से उत्पन्न दो राक्षस मधु और कैटभ श्री ब्रह्मा जी के सृष्टि के कार्य में व्यवधान डालने लगे किन्तु माँ दुर्गा के वरदान की वजह से श्री विष्णु जी भी उनको पराजित नहीं कर पा रहे थे.
- भगवान शंकर के निर्देशानुसार श्री विष्णु जी ने श्री गणपति के आशीर्वाद से उनका वध किया.
- जिस स्थान पर श्री विष्णु जी को आशीर्वाद और अनेको सिद्धिया प्राप्त हुई थी वह स्थान ही श्री सिद्धि विनायक सिद्धटेक के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
- सिद्धियाँ जितनी शक्तिशाली होती है उनको प्राप्त करना उतना ही दुष्कर होता है.
- ऐसा माना जाता है की जहाँ श्री गणपति की सूडं दाहिनी ओर होती है वह सिद्ध स्थान होता है और सिद्धि विनायक कहलाता है। किन्तु वहां श्री गणपति को प्रसन्न करना बहुत कठिन है.
- इस मंदिर में श्री गणपति जी की गोद में रिद्धि और सिद्धि भी विराजमान है.
- ध्यान रहे मुंबई में भी एक प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर है जो इससे भिन्न है और अष्ट विनायक में नहीं आता है.
Program: Day 4 (22.09.2023 Friday) Celebrations
- आज बृहस्पतिवार 21.09.2023 के दिन भी ईश्वर की असीम कृपा बनी रही. सुबह सुबह स्नान करके भगवान के दरबार में आने वाले प्रेमियों को ये सौभाग्य प्राप्त हुआ कि उन्होंने अपने हाथो से भगवान का श्रृंगार करा.
- थोड़ा मुश्किल होता है पर प्रयास करे कि आप भी प्रातः काल की स्वर्णिम बेला में श्री विनायक जी के समक्ष प्रस्तुत होकर उनके दिव्य श्रृंगार के साक्षी बने.
- आज का दिन हमारी भाइयो के नाम रहा, जो आज पूरे दिन श्री गणपति जी की सेवा में उपस्थित रहे और साथ साथ लैपटॉप पर अपना ऑफिस का कार्य भी करते रहे.
- दोपहर में अन्नपूर्णा बन हमारी बहने और माताए आई और भगवान और वहां उपस्थित लोगो के लिए रसाई बना कर चली गई
- श्री गणपति जी की विश्राम में जाने तक 50 प्रेमी भक्तो ने उनका प्रेम, आशीर्वाद और प्रसाद प्राप्त करा.
- कल 22 .09.2023 Friday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले. हमारे कुछ परिवार के लोग प्रतिदिन दर्शनों को आते है, जिसे देखना बड़ा ही सुखद होता है
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- दोपहर 13:00 बजे से 16:00 बजे तक भगवान के विश्राम का समय रहेगा अतः इस समय दर्शन नहीं होंगे
- हम जब अष्टविनायक की बात करते है तो क्या आपने यह सोचा है कि यह आठ ही क्यों है? विद्वानों का यह मत है कि अष्ट विनायक हमारे आठ यौगिक चक्रो को व्यक्त करते है. उनका हाथी का मस्तक बताता है की समझदार व्यक्ति की बुद्धि को स्थिर होना चाहिए। बड़े कान और छोटा मुँह बताता है की हमें अधिक सुनना और कम बोलना चाहिए। मूषक हमारे चंचल मन को दर्शाता है, जिसको स्थिर बुद्धि से ही काबू में किया जा सकता है.
- बुद्धि शांत होने के लिए मन से चिंता का नाश होना आवश्यक है। श्री अष्टविनायक के द्वितीय गणपति थेऊर के श्री चिंतामणि है.
- ऐसा कहा जाता है कि श्री ब्रह्मा जी ने अपने मन को शांत करने के लिए इसी स्थान पर श्री गणपति जी की आराधना करी थी.
- इससे जुडी कथा हमको मुद्गल उप पुराण में भी मिलती है.
- कथा के अनुसार राजा अभिजीत और उनकी रानी गुणवती का पुत्र कण बड़ी दुष्ट प्रवृति का था. उसको संतो और ऋषि मुनियो को पीड़ा देने में बड़ा आनंद आता था. एक बार वह शिकार करते करते श्री कपिलामुनि के आश्रम में पंहुचा।
- श्री कपिलामुनि के पास चिंतामणि हार था जो मांगने पर हर मनचाही वस्तु प्रस्तुत कर देता था. उन्होंने राजकुमार कण का आतिथ्य उसी चिंतामणि हार से प्राप्त सामग्री से करा.
- राजकुमार कण ऋषि से चिंतामणि हार लेने का हठ करने लगा और मना करने पर बल पूर्वक छीन कर ले गया.
- उसके माता पिता ने उसको वह हार ऋषि को वापस करने को कहा किन्तु वह न माना
- कपिलमुनि ने श्री गणपति से विनय करी और श्री गणपति ने एक युद्ध में कण को परास्त कर मृत्यु प्रदान करी.
- राजा अभिजीत ने क्षमा मांगी और कपिलामुनि को चिंतामणि हार वापस कर दिया, किन्तु कपिलामुनि ने वह हार स्वयं न रखकर उसको श्री गणपति जी को अर्पित कर दिया और उसके बाद से ही श्री गणपति जी को चिंतामणि नाम मिला
Program: Day 3 (21.09.2023 Thursday) Celebrations
- आज बुधवार 20.09.2023 के दिन भी ईश्वर की बड़ी कृपा रही. दिन की शुरुआत श्री गणपति जी के सुन्दर श्रृंगार से हुई. आज का दिन हमारी बहनो के नाम रहा, जो आज पूरे दिन श्री गणपति जी की सेवा में उपस्थित रही.
- सांयः पांच बजे तक सिर्फ 5 प्रेमी ही श्री गणपति जी के दर्शनों को आए किन्तु संध्या आरती के पश्चात और उनके विश्राम में जाने तक 50-60
प्रेमी भक्तो ने उनका प्रेम, आशीर्वाद और प्रसाद प्राप्त करा. - कल 21.09.2023 Thursday को भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रयास करे कि जब तक श्री गणपति जी विराजमान है प्रतिदिन थोड़े समय ही सही उनके दर्शनों का लाभ ले
- प्रथम श्रृंगार एवं आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती और भोग मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- दोपहर 13:00 बजे से 16:00 बजे तक भगवान के विश्राम का समय रहेगा अतः इस समय दर्शन नहीं होंगे
- आप लोग अपनी सुविधा अनुसार मंदिर कभी भी आ सकते है
- वेदो के ज्ञान की गंगा को उपनिषदों ने आगे बढ़ाया पर फिर भी वह ज्ञान आम जनमानस के लिए अन्यन्त गूढ़ और कठिन था इसलिए श्री वेद व्यास जी ने उस ज्ञान को 18 पुराणों की कथाओ के माध्यम से सुलभ कराया.
- आगे चलके उन पुराणों से 18 उप पुराण आए जिसने ईश्वरीय ज्ञान की गंगा को और विस्तार दिया.
- वैसे तो भगवान गणपति के विषय में वेदो कीअनेको ऋचाओं और पुराणों की कथाओ में वर्णन मिलता है पर और विस्तृत कथाएँ हमको मुख्य रूप से दो उप पुराणों गणेश उप पुराण और मुद्गल उप पुराण में मिलती है.
- वर्तमान के महाराष्ट्र क्षेत्र में श्री गणपित जी की विशेष कृपा रही है. वहाँ पर आठ ऐसे स्थान है जिनको स्वयंभू कहा जाता है. अर्थात ऐसे स्थान जहाँ पर श्री गणपति जी स्वयं प्रकट हुए थे और वहाँ पर श्री गणपति जी के मंदिर है
- यह सभी मंदिर अत्यंत प्राचीन है और इनकी यात्रा को श्री अष्टविनायक तीर्थ यात्रा कहा जाता है. आने वाले आठ दिनों में एक एक करके हम आपका इन अष्टविनायक मंदिरो से परिचय करवाएंगे और इनकी तीर्थ यात्रा पर ले चलेंगे।
- इनमे प्रथम मंदिर है श्री मयूरेश्वर विनायक मंदिर जो पुणे के निकट है मोरेगांव में स्थित है
- यह वही स्थान है जिसके दर्शनों को श्री मोरया जी 95 किलोमीटर दूर से पैदल चलकर आते थे और इस मंदिर में उनकी अगाध श्रद्धा थे (उनकी कथा हमने आपको कल बताई थी)
- यह भी मान्यता है कि प्रसिद्ध गणपति आरती “सुखकर्ता दुखहर्ता” की प्रेरणा श्री रामदास स्वामी जी को इसी मंदिर में मिली थी
- प्राचीन काल में सिंधुरासुर नाम के एक राक्षस के अत्याचारों से रक्षा करने हेतु श्री गणपति जी ने मोर पर बैठकर उस राक्षस का वध करा इसीलिए श्री गणपति जी को यहाँ मयूरेश्वर नाम मिला
- इस मंदिर में श्री मयूरेश्वर जी के साथ साथ माँ रिद्धि और सिद्धि के विग्रह भी है. साथ ही साथ द्वार पर श्री नंदी जी और मूषक जी भी है.
- श्री गणपति जी की सूड़ यहाँ पर बाई तरफ है जो की शिक्षा, धन प्राप्ति, व्यवसाय, उन्नति, संतान सुख, विवाह, सृजन कार्य और पारिवारिक खुशहाली प्रदान करती है
Program: Day 2 (20.09.2023 Wednesday) Celebrations
- 19.09.2023 का दिन बड़ा ही आनंददायक रहा. भगवान विनायक की स्थापना से लेकर उनके रात्रि विश्राम तक लगभग 120 प्रेमी भक्तो ने उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करा.
- अगर आप आज किसी वजह से आप श्री गणपति के दर्शनों को नहीं आ पाए तो प्रयास करे की कल आप उनके दर्शनों के लिए थोड़ा सा समय निकाले
- कल 20.09.2023 भी मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और तीन बार भगवान का भोग आरती और भजन होगा
- प्रथम आरती प्रातः 7:15 बजे, दूसरी आरती मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे तृतीय आरती और भोग लगेगा
- दोपहर 13:00 बजे से 16:00 बजे तक भगवान के विश्राम का समय रहेगा अतः इस समय दर्शन नहीं होंगे
- आप लोग अपनी सुविधा अनुसार मंदिर कभी भी आ सकते है
- श्री गणपति का एक अति प्रिय जयघोष “गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ती मोरया“ तो आप सभी ने कभी न कभी सुना ही होगा. आइए आज इसके विषय में कुछ जानकारी प्राप्त करते है
- बप्पा का अर्थ वैश्विक/सार्वभौमिक पिता होता है और भगवान गणेश को प्यार से बप्पा भी कहा जाता है
- सन 1375 ई. में श्री वामन भट्ट और श्रीमती पार्वती बाई के घर एक पुत्र ने जन्म लिया जिनका नाम मोरया गोसावी रखा गया. जो आगे चलके संत मोरया कहलाए। उनके जन्म के विषय में कुछ मतभेद है, कुछ लोगो का मत है कि वह कर्नाटक के एक ग्राम से महाराष्ट्र के चिंचवाड़ गांव आए और कुछ का कहना है कि वह चिंचवाड़ गांव में ही जन्मे थे
- पर यह बात सभी एकमत से स्वीकार करते है कि वह एक अनन्य गणपति भक्त थे
- मोरया जी की श्री गणपति के प्रति अगाध श्रद्धा, भक्ति और प्रेम का भाव रखते थे और वह हर गणेश चतुर्थी को अपने गाँव से 95 किलोमीटर दूर मयूरेश्वर मंदिर पूना में दर्शनों के लिए जाते थे
- यह सिलसिला उनके बचपन से लेकर 117 वर्ष की आयु तक निर्बाध रूप से चलता रहा.
- वृद्धावस्था के कारण उनके मन में वेदना और पीड़ा थी कि शायद वह अब उनके दर्शनों को नहीं जा पाएंगे.
- ऐसा कैसे हो सकता है की भक्त तकलीफ में हो और भगवान को उसका भान न हो. एक दिन भगवान गणपति जी ने उनको दर्शन दिया और कहा की अब उनको उनके दर्शनों के लिए मयूरेश्वर मंदिर जाने की आवश्यकता नहीं है और वह उनको वही दर्शन देंगे. उस दिन जब वह नदी में स्नान करके बाहर निकले तो उनके हाथ में वही विग्रह था जिसके उन्होंने स्वप्न में दर्शन करे थे. भगवान की ऐसी कृपा से उनकी आँखो से अश्रु की धरा बह निकली और एक बार फिर भगवान ने दिखा दिया कि वह अपने भक्त के लिए क्या नहीं कर सकते है
- उन्होंने चिंचवाड़ गांव में श्री गणपति को स्थापित करा और तभी से भक्त और भगवान का अंतर मिटता चला गया और गणपति बप्पा मोरया हो गया
- भक्त जब उनको चरण स्पर्श करके मोरया बोलते तो वह श्री गणपति की कृपा को याद करते हुए मंगलमूर्ति कहते जो कालांतर में मंगलमूर्ति मोरया बन गया
- ऐसा कहा जाता है की उन्होंने चिंचवाड़ गांव में जीवंत समाधी ली थी.
- श्री गणपति का वह विग्रह और उनका समाधी स्थल आज भी चिंचवाड़ गांव में है.
Program: Day 1 (19.09.2023 Tuesday) Celebrations
- कल 19.09.2023 मंगलवार को हमारे दस दिवसीय श्री गणपति महोत्सव का प्रथम दिन है.
- मंदिर प्रातः 7:00 बजे खुलेगा, सर्वप्रथम हमारे परिवार के प्रेमी भक्तो (आशा प्रवीण जी और गणेश काठे) के हाथो से निर्मित श्री विनायक जी के विग्रह की मंदिर में स्थापना होगी
- मध्यान 12:15 बजे और फिर सायः 18:15 बजे आरती और भोग लगेगा
- दोपहर 13:00 बजे से 16:00 बजे तक भगवान के विश्राम का समय रहेगा अतः इस समय दर्शन नहीं होंगे
- मंदिर पूरे समय खुला रहेगा और आप लोग अपनी सुविधा अनुसार मंदिर आ सकते है
- कल भाद्रपद माह की चतुर्थी है जो भगवान के जन्म का दिन है और गणेश चतुर्थी के नाम से भी जानी जाती है
- उनके जन्म की कथाएँ पद्म पुराण, लिंग पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, वराह पुराण, शिव पुराण आदि अनेको पुराणों में आई है जो थोड़ा थोड़ा भिन्न है.
- ऐसा कहा जाता है की उनका जन्म गौरीकुंड नामक स्थान पर (जो की केदारनाथ धाम के निकट है) हुआ था. माँ गौरी ने अपनी देह के उपटन से निर्मित कर उनके अंदर प्राण फूके थे और उनको अपनी सुरक्षा का आदेश दिया था.
- क्योकि गणेश भगवान को तब तक अपने पिता का ज्ञान नहीं था इसलिए उन्होंने भगवान महादेव के अंदर जाने का रास्ता रोक लिया
- बात आगे बढ़ी और दोनों के बीच में भीषण युद्ध हुआ जिसके अंत में भगवान शिव ने उनका सर धड़ से अलग दर दिया
- बाद में माँ गौरी से पूरी बात जानने और माँ के हठ के बाद उन्होंने अपने गणो को आदेश दिया की जो भी सबसे प्रथम जीव मिले उसका धड़ ले आए
- गणो को सबसे पहले एक हाथी दिखा अतः भगवान नीलकंठ ने हाथी का सर लगाकर गणेश भगवान को पुनः जीवन प्रदान करा और उनको अनेको अनेको आशीर्वाद प्रदान करा
- आने वाले दस दिनों तक हम आप लोगो से प्रतिदिन एक कथा साझा करेंगे और प्रयास करेंगे की हम लोग मिलकर भगवान गणपति के विषय में थोड़ा और ज्ञान प्राप्त कर सके
Information Reminders
Last Shri Ganapati ji Darshan Request
नमस्ते,
आज की संध्या आरती, इस गणपति महोत्सव की अंतिम संध्या आरती है. जितना संभव हो, प्रयास करे कि गणपति के विदा होने के पहले उनके दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करे जो हम सभी के लिए कल्याणकारी होगा.
हम में से कई भाइयो ने यह निश्चय करा है की आज की रात्रि अपने गणपति जी के श्री चरणों में ही मंदिर में व्यतीत करेंगे. संभवतः यह सब लोग श्री गणपति महोत्सव के आनंद की हर एक बूँद को आत्मसात कर लेना चाहते है और एक भी आनंद का क्षण व्यर्थ नहीं करना चाहते है.
ह्रदय में एक विचित्र पीड़ा, हूक और तड़प है कि यह गणपति उत्सव का आनंद ऐसे चलता रहे और कभी ख़त्म न हो, आगे ईश्वर जाने…..
क्या आ लोग अपने शहर में आए गणपति जी से विदाई के पहले मिलने नहीं आएंगे. श्री गणपति तो कैलाश से हम लोगो के इतने निकट आ गए है क्या हम लोग अपने घरो से मंदिर तक भी नहीं आ सकते…….
आपका अपना मंदिर परिवार
Teamwork is the Key for a sucessful celebration
- When we have started Ganapati Utsav, we were not very sure how we will be able to carry on till day 10……
- On the very first day out of enthusiasm we showed interest that we want to a different grain as bhog to Shri Ganapati everyday.
- With Varadvinayak’s blessing within an hour list of all days were completed and since very first day, prasad is offered with a different grain prepared by one or the other family member
- One family member @Sanjay Yadav@Boblingen wanted to offer Sattu prasad today but her wife straight forward refused to offer only sattu as bhog.
- The family rather decided and insisted to offer a full Bihari Thali to Shri Ganapati. They came early in Mandir prepared everything and offered it to Shri Ganapati with deep humility
- Sattu Kachauri (Kachauri stuffed with Sattu)
- Dal Puri (Kachauri stuffed with boiled Chana Dal)
- Chokha (Roasted on fire Aubergine and tomatoes with tangy spices)
- Tomato Chutney (Roasted on fire tomatoes sauce)
- Alu Gobhi Curry in Bihari style
- Lauki Raita (Boiled Lauki)
- Dal in Bihari style
- Rice
- Kheer
- We are extremely blessed that our family members are so devoted and we belong to such a beautiful family
- Imagine Shri Ganapati Bhog has been offered from the delicacies from Afganistan to Meghalaya, Punjab to Southernmost India in a Temple in Germany, managed by all full time working people
- Here you can see everyone singing Marathi aarti and chanting Ganapti bappa moriya. Person from Afganistan doing Jaikara of Maharashtra (1 2 3 4 Ganapati ki jai jai kar, 5 6 7 8 …… )
- This experience in itself is divine and hard to believe by someone who has himself not witnessed it.
May Shri Varadvinayak bless us all now and forever.
विनय: श्री गणपति महोत्सव 2023
भक्तिकाल के एक प्रमुख संत श्री कबीरदास जी ने कहा है कि
“दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुःख काहे को होय।।”
प्रायः यह दोहा हम सब के जीवन में कमोवेश सत्य ही प्रतीत होता है. जब हमारे जीवन में कोई दुःख या तकलीफ आती है तो हम दिन में कई बार भगवान के आगे माथा टेकते है और सुबह या रात का ख्याल किये बिना नंगे पैर ही ईश्वर के द्वारे पहुंच जाते है. जब परेशानी दूर हो जाती है तो धीरे धीरे ईश्वर हमारी प्राथमिकता में नीचे आते जाते है और हमारी प्रार्थना भी कम होती जाती है. वास्तव में हमने ईश्वर को सिर्फ अपनी स्वार्थ सिद्धि का माध्यम बना दिया है.
सोचिए यह हमारे सौभाग्य की पराकाष्ठा ही है कि अपने देश, परिवार से इतने दूर भी परमात्मा हमारा कैसे ख्याल रख रहे है. उन्होंने हमारे लिए ऐसे प्रेमी भेजे जिन्होंने अपने हाथो से भगवान भोलेनाथ, माँ गौरी, श्री गणपति जी और मूषक जी को बड़े भाव से मूर्त रूप दिया. श्री गणपति जी स्वयं सपरिवार हमारे मंदिर रुपी घर में आके विराजमान हुए है. वह कह रहे है की मै 10 दस दिनों तक रात दिन तुमको अपनी कृपा और दया से ओतप्रोत कर देना चाहता हूँ, बस तुम मेरे पास आओ तो.
ऐसे में क्या हम लोग अपने दैनिक जीवन के समस्त महत्वपूर्ण कार्यो में से आने वाले कुछ दिनों तक प्रतिदिन मात्रा 1 मिनट, 11 मिनट, 21 मिनट, 51 मिनट, 101 मिनट समय भी निकाल कर उनकी सेवा में नहीं पहुंच सकते है?
श्री गणपति हमारे पिता है और हमसे हमारा धन वैभव कुछ भी नहीं मांग रहे है बस कह रहे है कि सिर्फ कुछ मिनट का समय निकाल कर मेरे पास आ जाओ मै तुमको मालामाल कर दूंगा.
शेष यदि आप स्वयं से प्रश्न करेंगे तो आपकी अंतरात्मा उत्तर स्वयं दे देगी.
आप सबसे यही विनय है की हाथ में आए इन सौभाग्यशाली क्षणों को न जाने दे और इनका पूर्ण लाभ उठाए …………..
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